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ब्रह्मांड की हर समस्या का समाधान है गीता।- मेगास्टार आज़ाद

  • Writer: The Bombay Talkies Studios
    The Bombay Talkies Studios
  • Jan 21, 2020
  • 3 min read

संस्कृत के अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड अंबेसडर और संस्कृत पुनरूत्थान के महानायक मेग़ास्टार आज़ाद ने एक साक्षात्कार में पत्रकारों से कहा कि अपने बुजुर्गों और सन्तों के सत्संग के साथ ही मुसलमान, बौद्ध, पारसी, ईसाई या यू कहें कि कोई भी सम्प्रदाय हो जैसे वैष्णव, शैव, शाक्त, जैन, सिख आदि इन सबको पढ़कर मैंने जाना की सबकी बुनियाद में गीता है। फ़िल्म अहम ब्रह्मस्मि के निर्माण के दौरान मैंने लगभग पूरे भारत में भ्रमण किया जहां ये बात मैंने जाना कि हर धर्म में ये तय है कि उनकी धार्मिक ग्रंथों में ज़्यादातर वही बातें हैं जो गीता में हज़ारों साल पहले भगवान कृष्ण ने कहा है।गीता ज्ञान की बातों से वो भी समान रूप से फलेफूले है, गीता ज्ञान उसी प्रकार से सबको अपना बनाती है जैसे माँ सब बच्चों को प्यार से दुलारती है, प्रेम से रखती है, दूध पिलाती है। अतः उसी गीता ज्ञान रूपी माँका मस्तीसे, आनन्दसे दूध पीये । ‘दुग्धं गीतामृतं महत्’ । यह बड़ा विलक्षण दूध है; जितना पीओगे, उतनी ही आपकी पुष्टि होती चली जायगी । जब गीतारूपी दूध पीनेमें रस आने लगेगा, तो निहाल हो जायँगे । लेकिन जो बातें इस्लाम में गीता सार के बग़ैर लिखी है शायद वही उन्हें  क्रूरता या जेहाद की ओर ले जाती जिससे पूरे विश्व में आतंकवाद पनपा! उदाहरण के लिए, तैमूर, चंगेज खान, मुहम्मद गोरी, ओसामा बिन लादेन जैसे लोगों ने क्या पढ़ा जिसने अपनी क्रूरता से दुनिया को शर्मसार किया !!

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संस्कृत के अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड अंबेसडर

चलिए हम बात करते हैं अपने सनातन ग्रन्थ भगवदगीता की! गीता एक विलक्षण ग्रन्थ है । इसमें सात-सौ श्लोक हैं और एक एक श्लोक अलौकिक शक्तिशाली तत्त्व से भरा है । इसकी संस्कृत सरल है । हम सब इसे पढ़ सकते हैं, याद कर सकते हैं और काम में ला सकते हैं । इनमें नयी-नयी बातें मिलती हैं । पहले भले ही यह लगता है कि मैंने तो अब गीता पूरी पढ़ ली और मैं जानकार हो गया । परन्तु जैसे-जैसे इसमें गहरे उतरेंगे  वैसे-वैसे पता लगेगा कि मैं तो बहुत कम जानता हूँ । इसमें नित्य नये-नये विचित्र भाव मिलतें हैं ।


मुझे पाठ करते-करते गीता याद हो गयी । मैंने सीधा पाठ किया । फिर उलटा पाठ ‘यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः’ से ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे......’ तक बिना गीताजी देखे एकान्तमें बैठकर किया, बड़ा विलक्षण आनन्द आया केवल पाठमात्र करने से , हर व्यक्ति इसे करके देखें । उलटा पाठ करनेसे श्लोकोंपर विशेष ध्यान जाता है और श्लोकोंके अर्थ का विशेष ज्ञान होता है तथा बहुत शान्ति मिलती है । धन, विद्या, परिवार, मान, आदर आदि प्राप्त करके आप भले ही बड़े बन जाए, धनी या महान बन जाए, परन्तु आप अविनाशी नहीं बनते । आप इन विनाशी चीजोंसे क्या सर्वज्ञ बनेंगे । परन्तु गीता का अध्ययन करके आप सर्वोपरि हो जायँगे । आपको परम शान्ति मिलेगी । इनमें कोई सन्देह नहीं ।

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कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन .

“यं लब्ध्वा चापरं लाभ मन्यते नाधिक ततः”

हर समस्या का समाधान है गीता!

गीता ज्ञान को हासिल करने के बाद कुछ करना बाकी न रहेगा, न ही कुछ जानना बाकी रहेगा । ऐसा होने पर फिर जीनेकी और कुछ करने की इच्छा नहीं रहती तथा मौत का भय भी नहीं रहता । मनुष्य कृतकृत्य हो जाता है, प्राप्त-प्राप्तव्य हो जाता है, ज्ञात-ज्ञातव्य हो जाता है । पूर्णता हो जाती है और मनुष्य-जन्म सफल हो जाता है ।

 
 
 

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